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Gangaur 2024 : आखिर क्यों मनाया जाता है गणगौर का त्यौहार? कैसे है अन्य व्रतों से अलग

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Gangaur 2024 : भारतीय संस्कृति में विवाह के पश्चात महिलाओं द्वारा पति की लम्बी उम्र के लिए कई प्रकार के पूजन और उपवास किये जाते है. जिनमें मुख्य रूप से करवाचौथ, तीज के नाम से सभी वाकिफ है पर गणगौर (Gangaur 2024) भी उनमें से एक त्यौहार है, जो हिन्दू धर्म के महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण है। यह त्यौहार मुख्य रूप से उत्तर भारत के राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, गुजरात और महाराष्ट्र में मनाया जाता है।

इस त्यौहार (Gangaur 2024) को भगवान शिव और पार्वती मां के समान अपने रिश्ते की कामना करते हुए मनाया जाता है। यह त्यौहार विशेष रूप से विवाहित महिलाओं द्वारा मनाया जाता है जिसमें महिलाएं अपने पति की लम्बी उम्र और सुखमय जीवन की कामना करती हैं।

गणगौर पूजा (Gangaur 2024) का मुहूर्त :

वर्ष 2024 में गणगौर पूजन 10 अप्रैल शाम 5.32 से आरम्भ होगा जो 11 अप्रैल 3 बजकर 3 मिनट पर समाप्त होगा.

किस प्रकार होता है गणगौर पूजा का विधान :

सर्वप्रथम अगर बात करें शब्द गणगौर की तो इसका शाब्दिक अर्थ है ‘गण’, जो भगवान शिव का प्रतिनिधित्व करता है, और ‘गौर’, देवी पार्वती का प्रतीक है। अगर सरल शब्दों में कहा जाए तो यह एक प्रकार से शिवशक्ति को दर्शाता है और उनके बंधन को भी प्रदर्शित करता है.

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कब मनाया जाता है गणगौर का त्यौहार (Gangaur 2024) :

अगर बात करें गणगौर के त्यौहार की तो यह मुख्यतः रूप से होली के त्यौहार के पश्चात मार्च, अप्रैल में मनाया जाता है, और इस प्रकार लगभग 18 दिनों तक घर पर ही महिलाओं द्वारा विभिन्न पूजन विधियाँ की जाती है.

कैसे मनाया जाता है गणगौर का त्यौहार ?

Gangaur 2024

इस त्यौहार के दौरान इन 18 दिनों के दौरान महिलाओं द्वारा गौरी और शिव की सुन्दर मिट्टी की मूर्तियाँ बनायीं जाती है. और अंतिम दिन महिलाएं पारंपरिक पोशाक पहनकर इन मूर्तियों को सिर पर रखकर जुलुस निकालती है और इस दौरान महिलाएं दोल , गायन के साथ नदी या झील तक पैदल यात्रा करते हुए पहुँचती है. गणगौर के दौरान, विवाहित और अविवाहित महिलाएं व्रत रखती हैं।

पूरा दिन व्रत रखने के पश्चात गौरी और इसर की पूजा करने के बाद ही अपना उपवास तोडती हैं। विवाहित महिलाएं अपने पति की लम्बी उम्र और अपने परिवार की समृद्धि के लिए प्रार्थना करती हैं। व अविवाहित लड़कियां शिव के समान जीवनसाथी पाने के लिए यह व्रत करती है.

दुल्हन की तरह सजाये जाते है घर :

गणगौर के दौरान घर भी बहुत ही खूबसूरत तरह से सजाये जाते है जिसमें मुख्य रूप से रंगोली बनायीं जाती है यही नहीं फूलों से घरों को महकाया भी जाता है.

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कई संस्कृतियों का संयोग है गणगौर:

अगर बात करें गणगौर की तो यह भारतीय संस्कृति की जड़ो को बहुत बारीकी से दर्शाता है जिस प्रकार मां पार्वती ने शिव जी को पाने के लिए कई प्रयत्न किये. यही नहीं हर परेशानी में जिस प्रकार वो शिव जी के साथ ढाल बनी खड़ी रही उसी प्रकार यह त्यौहार भी एक पतिव्रता स्त्री के गुणों को दर्शाता है. इसमें मुख्य रूप से राजस्थानी संस्कृति की झलक बहुत ही करीब से देखने को मिलती है.  जहाँ आपको राजस्थानी पारम्परिक पोशाक, गीत (प्यार मिल जाए पिया का प्यार मिल जाये….) आदि भी देखने और सुनने को मिलेंगें.


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