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MEA: भारत ने ट्रंप के 25% अतिरिक्त टैरिफ को बताया ‘अनुचित’

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अपने हितों की रक्षा के लिए उठाएंगे जरूरी कदम: MEA

भारत ने अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लगाए गए 25% अतिरिक्त टैरिफ को “अनुचित और एकतरफा” करार दिया है। विदेश मंत्रालय (MEA) ने सोमवार को एक आधिकारिक बयान में कहा कि सरकार अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए हर आवश्यक कदम उठाएगी।

डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में भारत पर यह शुल्क इसलिए लगाने का एलान किया क्योंकि भारत ने रूस से रियायती दरों पर कच्चे तेल की खरीद जारी रखी है। ट्रंप का आरोप है कि भारत रूस से तेल खरीदकर अप्रत्यक्ष रूप से यूक्रेन युद्ध को आर्थिक मदद दे रहा है।

MEA का बयान: भारत के हित सर्वोपरि

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा,

“भारत की ऊर्जा खरीद नीति पूरी तरह से राष्ट्रीय हितों, ऊर्जा सुरक्षा और आर्थिक जरूरतों पर आधारित है। इस पर बाहरी दबाव डालना अनुचित है।”

उन्होंने यह भी जोड़ा कि भारत को एक स्वतंत्र संप्रभु राष्ट्र के तौर पर अपने निर्णय खुद लेने का अधिकार है, और यह अमेरिका या किसी अन्य देश की “पसंद के मुताबिक” नहीं चलेगा।

रूस से तेल खरीद पर भारत का रुख

भारत, दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल उपभोक्ता देश है, जो अपनी 85% ज़रूरतों को आयात के ज़रिए पूरा करता है। 2022 में जब पश्चिमी देशों ने रूस पर प्रतिबंध लगाए, तब भारत ने कच्चे तेल की खरीद को रियायती दामों पर रूस की ओर मोड़ा, जिससे देश की ऊर्जा लागत में भारी कमी आई।

वर्तमान में, भारत रोज़ाना लगभग 17 लाख बैरल रूसी कच्चा तेल आयात कर रहा है, जो देश की कुल तेल खपत का 35–40% है।

अमेरिका का आरोप और ट्रंप की चेतावनी

डोनाल्ड ट्रंप ने सार्वजनिक रूप से यह आरोप लगाया कि भारत, रूस से तेल खरीदकर उसे रिफाइन कर अमेरिका व यूरोपीय देशों को निर्यात कर रहा है, जो प्रतिबंधों को “चालाकी से तोड़ने” के बराबर है। उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर भारत ने अपनी नीति में बदलाव नहीं किया तो टैरिफ 50% तक बढ़ाए जा सकते हैं।

आर्थिक असर और भारत की प्रतिक्रिया

विश्लेषकों का मानना है कि अगर यह टैरिफ पूरी तरह लागू हो गया, तो भारत के लिए $18 अरब से अधिक के निर्यात पर असर पड़ सकता है। इससे फार्मा, ऑटो पार्ट्स, टेक्सटाइल और इंजीनियरिंग उत्पादों पर सीधा असर पड़ने की संभावना है।

हालांकि भारत ने संकेत दिया है कि वह इस मुद्दे पर अमेरिका से राजनयिक स्तर पर बातचीत के लिए तैयार है, लेकिन “दबाव की राजनीति” को बर्दाश्त नहीं करेगा।

टकराव या समझौता?

भारत और अमेरिका के बीच यह नया व्यापारिक तनाव ऐसे समय पर आया है जब दोनों देश 2030 तक $500 अरब द्विपक्षीय व्यापार का लक्ष्य लेकर चल रहे हैं। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या दोनों देशों के बीच बातचीत से समाधान निकलता है या यह मुद्दा एक बड़ा कूटनीतिक टकराव बनता है।


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