ब्रिटिश ब्रॉडकास्टिंग कंपनी यानी बीबीसी द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर बनाई गई एक डॉक्यूमेंट्री ने पूरे भारत देश में हलचल मचा दी है। हैदराबाद यूनिवर्सिटी से शुरू हुआ विवाद का बवंडर दिल्ली, कलकत्ता, केरल और अब मुंबई तक पहुंच गया है. नरेंद्र मोदी पर बनी इस डॉक्यूमेंट्री की हैदराबाद यूनिवर्सिटी में स्क्रीनिंग के बाद यह डॉक्यूमेंट्री काफी विवादों में आ गई है और हर तरफ से इसका कड़ा विरोध हो रहा है. इसके बाद छात्र संगठनों की ओर से जामिया में भी फिल्म की स्क्रीनिंग का आयोजन किया गया, लेकिन वहां भी भारी विरोध के चलते स्क्रीनिंग नहीं हो पाई. अब दिल्ली यूनिवर्सिटी और इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के छात्रों ने भी नरेंद्र मोदी पर बनी इस डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग का ऐलान कर दिया है, मानो बगावत कर दी हो. वहीं दूसरी ओर छात्रों का एक समूह लगातार इस डॉक्यूमेंट्री का विरोध कर रहा है. जानू और जामी महाभारत दिल्ली यूनिवर्सिटी के छात्रों ने डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग भी आयोजित की लेकिन भारी विरोध के बाद पुलिस ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के 24 छात्रों को हिरासत में ले लिया और बाद में रिहा कर दिया.
बीबीसी डॉक्यूमेंट्री से विवाद क्यों?
बीबीसी द्वारा बनाई गई इस डॉक्यूमेंट्री ‘इंडिया: द मोदी क्वेश्चन’ में 2002 में गुजरात में भड़के सांप्रदायिक दंगों को लेकर दो भाग की डॉक्यूमेंट्री फिल्म बनाई गई है, जिसमें तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी से इसे लेकर कई सवाल उठाए गए हैं. दंगे, जिसने कई मोदी प्रशंसकों को नाराज कर दिया है। 2002 में दंगे कैसे हुए, गोधरा में ट्रेन में आग कैसे लगाई गई, फिर हिंसा कैसे भड़की, हिंसा पर काबू क्यों नहीं पाया जा सका, कानून व्यवस्था की स्थिति क्यों बिगड़ गई.
अब सवाल ये है कि क्या देश की सुप्रीम कोर्ट इस पूरे मामले में दखल देकर केस दर्ज करेगी तो कौन सा देश इस पर फैसला सुनाएगा, क्या इस डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग देश में हो सकती है या होनी चाहिए या नहीं या फिर इस डॉक्युमेंट्री को भारत में पूरी तरह से बैन कर दिया जाएगा?