Jagannath RathYatra 2025: जगन्नाथ रथ यात्रा ओडिशा के पुरी में भव्यता के साथ मनाए जाने वाले सबसे प्रतीक्षित हिंदू त्योहारों में से एक है। इस वर्ष यह त्योहार शुक्रवार, 27 जून को मनाया जाएगा, यह भगवान जगन्नाथ की दिव्य यात्रा का प्रतीक है।
Jagannath RathYatra 2025 की दिनांक और शुभ समय:
ड्रिक पंचांग के अनुसार, यह त्योहार शुक्ल पक्ष के दूसरे चंद्र दिवस को मनाया जाता है।
The Grandeur of Rathyatra: A Celebration of Lord Jagannath
क्या है Jagannath RathYatra 2025 पौरोणिक महत्व:
पौरोणिक कथाओं में निहित और 12वीं से 16वीं शताब्दी के बीच की तारीखों में आने वाली, रथ यात्रा मात्र एक त्योहार नहीं है—यह एक आध्यात्मिक यात्रा है जो प्रेम, भक्ति और दिव्य पुनर्मिलन का प्रतीक है। कुछ किंवदंतियों के अनुसार माना जाता है की यह यात्रा भगवान श्रीकृष्ण के अपने मातृगृह की यात्रा से सम्बंधित हैं, जबकि अन्य किंवदंतियों के अनुसार यह राजा इंद्रद्युम्न से जुड़ी है, जिन्होंने सबसे पहले जगन्नाथ मंदिर का निर्माण कराया था।
रथ यात्रा से जुड़े अनुष्ठान :
रथ यात्रा से जुड़े कई अनुष्ठान है जो इस प्रकार है :
- रथ स्नान: इस अनुष्ठान के दौरान देवताओं को 108 पवित्र बर्तनों में शुद्ध जल भरकर उनका शुद्धिकरण किया जाता है।इसे एक प्रकार देव स्नान या औपचारिक स्नान कहा जाता है।
- रथ प्रतिष्ठा: नए निर्मित रथों का मंदिर के पुरोहितों द्वारा पवित्र वेदिक मंत्रों के साथ अभिषेक किया जाता है।
- रथ यात्रा (मुख्य जुलूस): देवताओं को विशाल, खूबसूरती से सजाए गए लकड़ी के रथों पर विराजित किया जाता है और हजारों भक्तों द्वारा जगन्नाथ मंदिर से गुंडिचा मंदिर तक 3 किलोमीटर की यात्रा पर ले जाया जाता है।
- बहुड़ा यात्रा: देवताओं की मुख्य मंदिर में लौटने की यात्रा, जो उनके नौ दिनों के ठहराव के बाद होती है।
- सुन बेशा: इस अनुष्ठान के दौरान देवताओं को सुनहरे आभूषणों से सजाया जाता है, जो दिव्य भव्यता का एक अद्भुत प्रदर्शन है।
- निलाद्री विजय: यह एक प्रकार से यात्रा की समाप्ति का प्रतिक है इस दौरान जगननाथ जी, उनकी बहन व उनके भाई को पुनः गर्भगृह में विराजित किया जाता है तत्पश्चात रथों को अगले वर्ष तक के लिए तोड़ दिया जाता है।