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Modi 3.0 : सबके मन में एक है सवाल? क्या टिक पाएगी मोदी की गठबंधन सरकार ?

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Modi 3.0 : नरेंद्र मोदी ने लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री चुने जाने के साथ, प्रधानमंत्री पद की शपथ ली, पर इस बार कहानी में सबसे बड़ा ट्विस्ट है , जी हाँ अभी दो बार तक तो मोदी जी बहुमत के आधार पर अपनी सरकार बनाने में सक्षम हुए थे. पर इस बार बहुमत हासिल नहीं होने की स्थिति में उन्होंने गठबंधन सरकार के साथ प्रधानमंत्री का पदभार संभाला. हालाँकि प्रधानमंत्री के पद पर तो मोदी है पर सबके मान में यही सवाल है की क्या नरेन्द्र दामोदरदास मोदी गठबंधन सरकार को लीड कर पायेंगें ? या हर बार की तरह कुछ समय में गठबंधन ध्वस्त हो जाएगा ?

आइये जानते है क्या है गठबंधन सरकार (Modi 3.0 )?

जैसे की हर बात पर लोगों के अलग-अलग मत होते है ऐसे ही इसमें भी कई लोगों का मानना ​​है कि गठबंधन में मोदी जी को कई समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है. अगर बात करें निर्मोभरता की तो मोदी जी जिन दो सहयोगियों पर सबसे अधिक निर्भर हैं, वे दो क्षेत्रीय दल, जनता दल (यूनाइटेड) और तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) हैं। इनके बीच 28 सीटें हैं. दोनों का नेतृत्व अनुभवी, और चर्चित नेताओं – क्रमशः नीतीश कुमार और एन चंद्रबाबू नायडू – द्वारा किया जाता है, इन दोनों नेताओं ने पहले भाजपा के नेतृत्व वाली संघीय गठबंधन सरकारों में काम किया था और फिर सत्तारूढ़ दल के साथ मतभेदों के कारण इस्तीफा दे दिया था। इसका मतलब देखा जाए तो केवल दो या तीन सहयोगियों पर निर्भर गठबंधन वाली इस सरकार में से यदि एक भी समर्थन वापस ले लेता है, तो सरकार ढहने का ख़तरा होता है।

वहीँ कुछ लोग करते है इस बात का समर्थन :

कई लोगों का मानना ​​है कि श्री मोदी के नेतृत्व में गठबंधन सरकार स्वस्थ लोकतंत्र में योगदान दे सकती है। जनता का कहना है कि यह प्रधानमंत्री के प्रभुत्व को कम कर सकता है, शासन का विकेंद्रीकरण कर सकता है, नियंत्रण और संतुलन बढ़ा सकता है, विपक्ष को प्रोत्साहित कर सकता है और न्यायपालिका और मीडिया को अधिक स्वतंत्र बना सकता है।

यह भी पढ़ें :Modi 3.0 Cabinet Members: मोदी के कैबिनेट का हुआ गठन, मुख्य पदों पर अभी भी वही चेहरे बरकरार

इससे पहले भी गठबंधन हो चुका है सफल:

इससे पूर्व भाजपा के नेता बिहारी वाजपेयी ने 1998 से 2004 तक बहुदलीय गठबंधन सरकार का सफलतापूर्वक संचालन किया था। अपनी गठबंधन की सरकार के दौरान अटल बिहारी वाजपेयी ने राज्य के स्वामित्व वाली कंपनियों का निजीकरण किया, विदेशी निवेश को बढाया, एक्सप्रेसवे बनाए, व्यापार सम्बंधित समस्याओं को भी कम किया यहां तक ​​कि आईटी क्रांति को भी बढावा दिया. यही नहीं अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने पाकिस्तान के साथ तनाव कम किया और अमेरिका के साथ घनिष्ठ संबंध बनाए।

इस मुद्दे पर कई राजनीतिज्ञों ने भी अपने अलग-अलग मत दिए है, किसी ने मोदी को तानाशाह कह कर इस सरकार के 6 महीने से अधिक चलने को भी नामुमकिन बताया. वहीँ किसीने मोदी को मनु के दार्शनिक राजा के समान समझदार कहते हुए अपना वर्चस्व बरकरार रखने का भी विश्वास जताया. यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा की

टिक पाएगी मोदी की गठबंधन सरकार, क्या फिर से 2029 में आएगी मोदी सरकार ?


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