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Rakhi 2025: शुभ तिथि, मुहूर्त एवं भद्रा काल

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रक्षाबंधन: भाई-बहन के अटूट रिश्ते का पर्व

Rakhi 2025: रक्षाबंधन, जिसे प्रायः “राखी” के नाम से जाना जाता है, भारत के प्रमुख त्योहारों में से एक है। यह पर्व हर वर्ष श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है और भाई-बहन के प्रेम, विश्वास और सुरक्षा के प्रतीक के रूप में स्थापित है।

इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बाँधकर उनके सुख, समृद्धि और दीर्घायु की कामना करती हैं। भाई बदले में बहनों को जीवन भर उनकी रक्षा का वचन देते हैं और उन्हें उपहार भेंट करते हैं। यह मात्र एक रस्म नहीं, बल्कि रिश्तों की गहराई और संस्कृति का अद्भुत संगम है।

पौराणिक कथाओं में रक्षाबंधन

Rakhi 2025: रक्षाबंधन का उल्लेख कई पौराणिक कथाओं में भी मिलता है। श्रीकृष्ण और द्रौपदी की कथा में जब द्रौपदी ने श्रीकृष्ण की चोट पर अपनी साड़ी फाड़कर बाँधी, तब श्रीकृष्ण ने जीवन भर उसकी रक्षा का संकल्प लिया। इसी तरह, रानी कर्णावती द्वारा हुमायूं को राखी भेजना भी इस त्योहार की ऐतिहासिक महत्ता को दर्शाता है।

सांस्कृतिक महत्त्व

रक्षाबंधन न केवल भाई-बहन का त्योहार है, बल्कि यह समर्पण, विश्वास और स्नेह का उत्सव भी है। यह पर्व हमें याद दिलाता है कि रिश्तों की डोर सच्चाई, प्यार और ज़िम्मेदारी से बंधी होती है।

समाज में संदेश

आज के दौर में रक्षाबंधन का महत्व और भी बढ़ गया है, क्योंकि यह त्योहार हमें एक-दूसरे की सुरक्षा, सहयोग और सम्मान की भावना सिखाता है — चाहे वह रक्त संबंध हो या आत्मीय रिश्ता।

Rakhi 2025: नीचे रक्षाबंधन 2025 के ठीक तारीख, शुभ मुहूर्त, भद्रा कालऔर त्योहार की महत्तासहित हिंदी में एक व्यवस्थित और सुन्दर लेख प्रस्तुत है। यह लेख वेब‑स्टोरी, ब्लॉग या सोशल मीडिया पोस्ट फ़ॉर्मेट में उपयुक्त रहेगा:

रक्षाबंधन 2025: शुभ तिथि, मुहूर्त एवं भद्रा काल

रक्षाबंधन की तारीख

Rakhi 2025:, शनिवार, 9 अगस्त 2025 को मनाया जाएगा। यह श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि पर पड़ता है।
पूर्णिमा तिथि 8 अगस्त दोपहर 2:12 बजे से शुरू होकर 9 अगस्त दोपहर 1:24 बजे तक रहेगी, और उदय तिथि के अनुसार 9 अगस्त को ही पर्व मनाया जाएगा ।

राखी बांधने का शुभ मुहूर्त

बहनों को राखी बांधने हेतु यह समय अति शुभ माना गया है:

सुबह 5:47 बजे से दोपहर 1:24 बजे तकमुख्य शुभ अवधि उपलब्‍ध रहेगी ।
अभिजीत मुहूर्त* (12:00–12:53 बजे): इस समय को विशेष शुभ माना जाता है ।
यदि प्रमुख समय में अवसर न मिले, तो प्रदोष काल में शाम 7:19 बजे से रात 9:24 बजेतक भी राखी बांधी जा सकती है ।

भद्रा काल और अन्य अशुभ समय

इस वर्ष रक्षाबंधन के दिन भद्रा काल नहीं रहेगा, क्योंकि यह 9 अगस्त की सुबह 1:52 बजे से पहले समाप्त हो चुका होगा ।
अन्य अशुभ काल जैसे:

गुलिक काल: सुबह 5:47–7:27 बजे तक
राहुकाल: सुबह 9:07–10:47 बजे तक
दुर्मुहूर्त: 5:47–6:40 व 6:40–7:34 बजे
यमगण्ड काल: दोपहर 2:06–3:46 बजे तक
इन समयों में कोई शुभ क्रिया नहीं करनी चाहिए ।

त्योहार का महत्व और परंपरा

रक्षाबंधन श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है, जो भाई-बहन के अटूट प्रेम, विश्वास और सुरक्षा के इस प्रतीक पर्व का दिन है ।
बहनें राखी बांधकर भाई की लंबी आयु, सुख-समृद्धि और स्वास्थ्य की कामना करती हैं; भाई reciprocate करते हुए रक्षा और सहयोग वचन देते हैं ।
पौराणिक कथाओं — जैसे द्रौपदी द्वारा श्रीकृष्ण को राखी बांधने की कथा, रानी कर्णावती और हुमायूँ की कहानी — से यह पर्व ऐतिहासिक और भावनात्मक रूप से भी समृद्ध होता है ।

इस रक्षाबंधन 2025 पर:

राखी 9 अगस्त को सुबह 5:47 बजे से दोपहर 1:24 बजेके बीच बांधना सबसे शुभ रहेगा,
भद्रा काल कोई बाधा नहीं डाल रहा, जिससे पूरे दिन उत्सव निर्बाध रहेगा,
अभिजीत और प्रदोष कालको भी शुभ माना जा सकता है,
और राखी थाली सजाकर, मंत्र जाप के साथ यह त्योहार प्रेम, परंपरा और सुरक्षा की भावना को सार्थक बनाएगा।

निष्कर्ष:
रक्षाबंधन केवल एक पर्व नहीं, बल्कि भावनाओं की वह डोरी है जो भाई–बहन के रिश्ते को समय के हर इम्तिहान में मजबूत बनाती है। यह दिन हमें यह सिखाता है कि साथ निभाना, रक्षा करना और प्रेम जताना हमारे सांस्कृतिक मूल्यों की आत्मा है।


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