Women Health: क्या आपको अपने पहले पीरियड याद है? जब आपको पहली बार यह एहसास हुआ हो की शायद कुछ तो गड़बड़ है। हम सभी उस समय को याद कर सकते है, महिलाओं के जीवन का ऐसा क्षण जो सबसे अधिक महत्वपूर्ण है।
12 वर्ष की उम्र में जब मुझे पहली बार पीरियड आए उस वक्त मेरी माँ के शब्द थे “जा वहाँ कोने में जा कर बैठ जा और किसी चीज को छूना मत” आप बताइए आपका क्या था?
हालांकि भारतीय संस्कृति में रूढ़िवाढी अनुष्ठान तो है पर कुछ अनुष्ठान ऐसे भी है जी बेटियों के पहले पीरियड का जमकर जश्न मनाते है। जी हाँ देशभर में ऐसे कई राज्य है जो बेटियों के पहले पीरियड का जमकर जश्न मानते है। आइए जानते है उनके नाम :
ऋतु शुद्धि:
यह जश्न मुख्य रूप से देश के दक्षिणी हिस्से में मनाया जाता है। कर्नाटक में बेटी के पहले मासिक धर्म के अवसर पर लड़की को “आधी साड़ी” पहनाई जाती है, जो यह दर्शाती है कि उनकी बेटी अब एक महिला है, और साड़ी का बाकी हिस्सा शादी के बाद पहना जाता है। पुराने समय में लड़कियों को इस प्राकृतिक प्रक्रिया से अवगत कराया जाता था, ताकि उन्हें आगे किसी कठिनाई का सामना न करना पड़े।
तुलोनीय बिया :
इस अनुष्ठान का मुख्य रूप से असम में पालन किया जाता है। लड़की को मासिक धर्म के अगले 5 दिनों तक एक कमरे में बैठने को कहा जाता है और सूरज और सितारों को देखने का निर्देश दिया जाता है। जब उसका मासिक धर्म ख़त्म हो जाता है तो उसकी शादी केले के पौधे से कर दी जाती है।
मंजल निरतु वीसा:
यह अनुष्ठान मुख्य रूप से तमिलनाडु में किया जाता है, जहां लड़की के चाचा नारियल, आम और नीम के पत्तों से एक झोपड़ी बनाते हैं। लड़की को हल्दी वाले पानी से स्नान कराया जाता है और रेशम की साड़ी पहनाई जाती है। यह कार्यक्रम ‘पुण्य धनन’ के साथ समाप्त होता है, और अंत में, उसके चाचा द्वारा बनाई गई झोपड़ी को हटा दिया जाता है और पुजारी घर को शुद्ध करता है।
राजा प्रभा:
ओडिशा में भी बेटी के पहले मासिक धर्म का उत्सव मनाया जाता है। रज शब्द की उत्पत्ति संस्कृत के रज शब्द से हुई है जिसका अर्थ है मासिक धर्म। ऐसा माना जाता है कि इन तीन दिनों के दौरान धरती माता को मासिक धर्म होता है। पीरियड्स के चौथे दिन लड़की को नहलाया जाता है। यह रिवाज एक अन्य रिवाज से भी जुड़ा है जिसे ‘मिथुन संक्रांति’ के नाम से जाना जाता है जो मानसून की पहली बारिश से संबंधित है।